आज! राजनितिक एक खेल । Poem, poems in Hindi, कविता कोश, Hindi poem, Ghazal, Shayari, shayari News lovers, poetry, कविता,new poem.
राजनितिक एक खेल बन गया है आज ,
सबने सबके खोले है यह राज ।
क्यूँ न इसमें सब जाऐगा ,
सब कुछ इसमें सब पायेगा ।
इसके लिए किसने क्या नहीं किया ,
उसने अपने जन्मदाता से भी अलग हुआ ।
इसने मानवता का भी किया खनन ,
फिर भी इसको किया है मनन ।
आज! राजनितिक एक खेल बन गया है ।
अल्टीमेट राइटिंग गाइड!
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